हिंदी आज क्यू परायी हो गयी है
जैसे बेटी की पिता के घर से विदाई हो गयी है
अंग्रेजी आज लोगो की शान हो गयी है
दिखावा करने का सामान हो गयी है ,
मंदिरो के नाम भी अंग्रेजी मे नज़र आते है
आज कल संत भी प्रवचन आनलाइन अंग्रेजी मे सुनाते है
मम्मी पापा तो मोंम डेड हो गये है
पुस्तिका भी नोटपैड हो गये है
एक दिन खूब हिंदी दिवस मनाते है
एक दूसरे को बधाई संदेश पाहुचाते है
अगले दिन हिंदी को भूल जाते है
फ़िर वही अंग्रेजी के साथ पुरा वर्ष बिताते है
क्यू मौन है सम्मान आज हिंदी का
करते है रोज अपमान हिंदी का
बस एक अनुरोध आज करता हू
अंग्रेजी का विरोध आज करता हू
कम से कम हस्ताक्षर हिंदी मे हम कर सकते है
आज से यह शुरुआत हम कर सकते है
हिंदी का सम्मान हम कर सकते है
शुद्ध भाषा पर अभिमान हम कर सकते है
आज से एक सौगंध हमे खानी है
हिंदी को उसकी पहचान वापस लौटानी है !!
कवि शिवेंद्र कौशिक!!